आजची वात्रटिका
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कवींची 'चाल'बाजी
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कवींची 'चाल'बाजी
आजकाल सर्वच कवींचे,
एक सूर,एक ताल आहे.
कवी वेगळे,कविता वेगळ्या,
तरीही सर्वांची एक चाल आहे.
एक सूर,एक ताल आहे.
कवी वेगळे,कविता वेगळ्या,
तरीही सर्वांची एक चाल आहे.
चालबाजीच्या नादात
कवितांचे गळे घोटू नका !
गळा असो वा नरडे,
कवितेवर चाल रेटू नका !!
कवितांचे गळे घोटू नका !
गळा असो वा नरडे,
कवितेवर चाल रेटू नका !!
-सूर्यकांत डोळसे,पाटोदा(बीड)
मोबाईल-9923847269
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चिमटा-5793
दैनिक पुण्यनगरी
10मे2020
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#कोरोना
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