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सार्वकलिक सत्य
जसा सुखातही भ्रष्टाचार होतो,
तसा दुःखातही भ्रष्टाचार होतो.
असे मुळीच नाही की,
कधी कमी, कधी फार होतो.
याचा अर्थ असा की,
भ्रष्टाचार सार्वकालिक सत्य आहे!
भ्रष्टाचाऱ्यात भ्रष्टाचार,
सदा सर्वदा स्तुत्य आहे !!
-सूर्यकांत डॊळसे,पाटोदा(बीड)
मोबाईल-9923847269
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फेरफटका-7598
दैनिक झुंजार नेता
21मे2021
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